shiva ji rajput

 हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए भारत में जातियों के बीच खासकरके ब्राह्मणों से नफरत फैलाने के लिए कांग्रेसी वामपंथी इतिहासकारों द्वारा भारत में जो एक सबसे बड़ा झूठ बोला जाता है वह यह है कि शिवाजी शुद्र थे और शुद्र  होने के कारण उनका ब्राह्मणों ने राज्याभिषेक करने से मना किया 

वास्तव में यह दोनों बातें गलत है ना शिवाजी शुद्र थे और ना ही शिवाजी का कभी ब्राह्मणों ने राज्य अभिषेक करने से मना किया

सबसे पहले तो यह झूठ किसने फैलाई यह जाने

 पुर्तगालियों ने गोवा में कब्जा करने के बाद वहां बहुत सारे मंदिर तोड़ दिए और उसके स्थान पर चर्च बना दी शिवाजी ने जाकर गोवा में पुर्तगालियों को हराकर जो चर्च मंदिर तोड़कर बनाई थी उसके स्थान पर उन्होंने फिर से मंदिर बना दिया जिसके कारण से पुर्तगाली लोगों ने उनको बदनाम करने के लिए एक पत्र लिखा और जिसमें लिखा कि शिवाजी शूद्र हैं और उनका ब्राह्मणों ने राज्य अभिषेक नहीं किया सिर्फ उसी पत्र को आधार बनाकर बिना किसी और फैक्ट  को  देखे जदुनाथ सरकार ने 1944 में यह बात लिख दी और उसी जदुनाथ सरकार के रिफरेंस द्वारा कांग्रेसी वामपंथी इतिहासकारों द्वारा पूरे भारत में यह भ्रम फैलाया जाता है

अब सच्चाई जानिए शिवाजी के राज्याभिषेक के 16 साल पहले उनके पिताजी ने बीजापुर के सुल्तान को पत्र लिखा था कि हम राजपूत है

खुद औरंगजेब के इतिहासकार काफी खान ने मसाई आलमगीरी में उन्हें राजपूत लिखा है

राम सिंह राजपूत जिन्होंने शिवाजी को औरंगजेब की कैद से छुड़ाया था उन्होंने खुद शिवाजी की प्रशंसा करके जय सिंह को भेजे गए पत्र में उनको राजपूत लिखा है

शिवाजी के दरबार के दो ब्राह्मण कवि एक कवि भूषण और दूसरे कवि कलश ने भी उन्हें राजपूत लिखा है

शिवाजी के मंत्रिमंडल में 8 मंत्री थे जिसमें 7 ब्राह्मण थे सैकड़ों ब्राह्मण खुद उन्हीं के दरबार में उनके यहां नौकरी करते थे अब यह बताइए कैसे संभव है कि उन्हीं के मंत्री जो उनसे वेतन पा रहे हैं उन्हीं के कर्मचारी खुद ही उनका राज्याभिषेक नहीं करेंगे और ऐसे सम्राट की अवज्ञा करने की हिम्मत करेंगे जिनसे इतना बड़ा क्रूर ताकतवर औरंगजेब भी भय खाता था वास्तविकता तो यह है कि महारष्ट्र के ब्राह्मण यह चाहते थे कि शिवाजी का राज्याभिषेक बहुत विशाल हो शिवाजी के पहले महाराष्ट्र में 300 साल मुसलमानों का राज्य था जिसे ब्राम्हण तक वहां के राज्याभिषेक करने की विधि भूल गए थे

 और उस समय और आज भी बनारस सबसे बड़ा हिंदू धर्म का केंद्र था इसलिए उस समय बनारस के सबसे बड़े विद्वान गागा पंडित को वही के ब्राह्मणों द्वारा ही  बुलाया गया  वास्तव में वह भी महाराष्ट्र के ही थे और वहां से उनका परिवार चार पीढ़ी पहले बनारस जाकर बस गया था वहां से ब्राह्मण बुलाने का मकसद सिर्फ काशी की मान्यता और महानतम वैभव पूर्ण राज्याभिषेक करना था इसीलिए शिवाजी के राज्य अभिषेक में 30,000 ब्राह्मण बुलाए गए थे और शिवाजी उन सब को इतना दान दिया था उनका खजाना तक खाली हो गया

अब एक और बड़ा प्रमाण देखिए जदुनाथ सरकार के 50 साल पहले कर्नल टॉड ने राजपूतों का इतिहास लिखा है उन्होंने शिवाजी की पूरी वंशावली दी है जो उनको मेवाड़ से प्राप्त हुई थी कि जब हम्मीर सिंह  मेवाड़ के राजा बने और उनके भाई सज्जन सिंह को राज नहीं मिल पाया तो वह नाराज होकर दक्षिण की तरफ चले गए वही शिवाजी के पूर्वज थे

यह वंशावली कर्नल tod को मेवाड़ के ही पोथियों  से मिला था इसको हम प्रमाण के रूप में लगा रहे है

पर बहुत अफसोस है कि कर्नल टॉड का 50 साल पहले लिखी हुई बात हमारे वामपंथी इतिहासकारों ने नहीं माना और जदुनाथ सरकार के लेखन से दुष्प्रचार करते रहे

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