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Showing posts from June, 2021

shri ram parashuram samvad

 बाल्मीकि रामायण में  श्री परशुराम और श्री राम का संवाद कुछ अलग है जो कि तुलसी रामायण से थोड़ा अलग है यह बालकांड के 74 75 76 77 सर्ग में वर्णन है जिसका मेरे द्वारा श्लोक और सर्ग  सहित प्रमाण देकर वर्णन किया जाएगा  सभी श्लोको के स्क्रीन शॉट लगाए जा रहे है इसलिए आप सब प्रमाण सहित अगर सभ्य भाषा मे कुछ कहना चाहे तो जरूर कहे बाल्मीकि रामायण में श्री  परशुराम जी धनुष भंग के समय नहीं आते बल्कि सीता विवाह हो जाने के बाद जब श्री राम अयोध्या की तरफ प्रस्थान करते हैं तब रास्ते में आते हैं सर्ग 74 के 18 वे श्लोक में वर्णन है कि  महाराज दशरथ ने भयंकर रूप धारण किए जटा जूट धारी भृगुवंशी जमदग्नि के पुत्र और राजाओं के मान मर्दन करने वाले परशुराम को देखा श्लोक 20  में वर्णन है कि वो कंधे पर फरसा रखे हुए थे और बिजली की तरह चमचमाता धनुष बाण लिए हुए ऐसे जान पड़ते थे कि मानो त्रिपुरासुर को मारने के लिए भगवान शिव जी आए हो इस श्लोक   को भी ध्यान से पढ़िए जैसे रानी लक्ष्मीबाई को कभी बोला जाता है कि वह चंडी का रूप थी इसका मतलब यह नहीं होता है कि वह साक्षात दुर्गा का अ...

valmiki ramayan bhagwan ram awtar of vishnu

  abc क्योंकि बहुत लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि बाल्मीकि रामायण में भगवान श्री रामचंद्र जी को भगवान नहीं माना गया है इसलिए आज बाल्मीकि रामायण के उदाहरण से से ही आज इसकी व्याख्या की जाएगी कि वास्तव में खुद महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम को विष्णु जी का अवतार ही बताया था बालकांड 17 सर्ग श्लोक 1  पुत्रत्वम तू गते विष्णु राज्यस्तस्य महात्मन  उवाच देवता सर्वा स्वयमम भूरि गवांनीदम यानी कि ब्रह्मा जी ने महात्मा दशरथ के घर जब भगवान विष्णु को पुत्र रत्न के रूप में जन्म लेते हुए देखा तो सभी देवताओं से कहा सत्य संघषय वीरस्य सर्वेपम नो हैतिशीनो  विष्णो सहयवलिनो श्रीजन्ध्व काम रूपिन पूरा श्लोक जो स्क्रीनशॉट में दिया है पढ़िए भगवान ब्रह्मा खुद ही देवताओं को आदेश दे रहे हैं भगवान विष्णु राजा दशरथ के घर अवतार ले रहे हैं और आप लोग भी वानर भालू का रूप लेकर जाइए इन श्लोको में बहुत साफ साफ है कि सभी देवताओं ने खुशी-खुशी दूसरे रूप धरे

वाल्मीकि रामायण में भगवान राम विष्णु के अवतार

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  क्योंकि बहुत लोगों द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि बाल्मीकि रामायण में भगवान श्री रामचंद्र जी को भगवान नहीं माना गया है इसलिए आज बाल्मीकि रामायण के उदाहरण से से ही आज इसकी व्याख्या की जाएगी कि वास्तव में खुद महर्षि वाल्मीकि ने भगवान राम को विष्णु जी का अवतार ही बताया था बालकांड 17 सर्ग श्लोक 1  पुत्रत्वम तू गते विष्णु राज्यस्तस्य महात्मन  उवाच देवता सर्वा स्वयमम भूरि गवांनीदम यानी कि ब्रह्मा जी ने महात्मा दशरथ के घर जब भगवान विष्णु को पुत्र रत्न के रूप में जन्म लेते हुए देखा तो सभी देवताओं से कहा सत्य संघषय वीरस्य सर्वेपम नो हैतिशीनो  विष्णो सहयवलिनो श्रीजन्ध्व काम रूपिन पूरा श्लोक जो स्क्रीनशॉट में दिया है पढ़िए भगवान ब्रह्मा खुद ही देवताओं को आदेश दे रहे हैं भगवान विष्णु राजा दशरथ के घर अवतार ले रहे हैं और आप लोग भी वानर भालू का रूप लेकर जाइए इन श्लोको में बहुत साफ साफ है कि सभी देवताओं ने खुशी-खुशी दूसरे रूप धरे

fraud report mandal commission

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About B P Mandal पूरे देश के भाग्य निर्धारण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया जिसका काम पिछड़े वर्ग की पहचान करके उनको नौकरियों में आरक्षण की सिफारिश करना था तो स्वाभाविक है कि इतनी बड़ी कमेटी में किसी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या कार्यरत जज को नियुक्त करना था लेकिन इस कमेटी में एक राजनेता जो कि उस समय सांसद थे जिनका पहले से ही विचार फिक्स था कि पिछड़ी जातियों को आरक्षण देना जरूरी है जो पहले से ही अपने कई सभाओं में बोल चुके थे कि पिछड़ी जातियों का सवर्ण जातियों द्वारा उत्पीड़न होता है ऐसे बीपी मंडल जो वास्तव में जाति से यादव थे को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया जो कि एक सांसद और पूर्ण रूप से राजनेता थे किसी फिक्स विचारधारा के राजनेता को अगर किसी इतनी बड़ी कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाएगा तो वह अपने आप ही कोई निष्पक्ष में रहना निकाल कर अपने राजनीतिक फायदे के लिए निष्कर्ष निकालेगा वही काम बीपी मंडल ने किया आयोग की रिपोर्ट में देखिए किस तरीके से बीपी मंडल जी ने किस्से कहानियों के आधार पर एकलव्य और शम्बूक की झूठी कहानी सुनाकर जहर उगला है एक संवैधानिक रिपोर्ट जिसका काम पिछड़े वर्ग की पहचान और स्थि...

myth that muslim took part in independence struggle

 भारत देश में मुसलमानों और कम्युनिस्टों द्वारा एक सबसे बड़ा झूठ ये बोला जाता है कि मुसलमानों ने हिंदुओं के साथ आजादी की लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर भाग लिया वास्तव में यही सबसे बड़ा झूठ है  मुसलमानों ने हिंदुओं जैसे आजादी की लड़ाई में भाग लिया मुसलमानों ने मुख्यता सिर्फ दो अवसरों पर अंग्रेजों का विरोध किया  पहला अट्ठारह सौ सत्तावन की लड़ाई में जब उनको लगा था कि अभी भी अंग्रेजों को भगाकर मुस्लिम राज कायम किया जा सकता है दूसरा उन्होंने अंग्रेजों का विरोध तब किया जब इनके खलीफा के खिलाफ अंग्रेजों ने युद्ध छेड दिया था तब इन्होंने सारी दुनिया में खलीफा राज के लिए अंग्रेजों का विरोध किया आज हम  मुसलमानों के आजादी की लड़ाई में भाग करने का तथ्यात्मक विश्लेषण करते हैं  जैसा की आप सबको पता है आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों का विरोध करने के कारण हजारों लोगों को फांसी दी गई लेकिन इसमें सिर्फ 7 मुसलमानों को अंग्रेजों ने फांसी दी है जिनका नाम लेकर मुसलमान यह दावा करते हैं कि उन्होंने भी आजादी की लड़ाई में  बराबर का भाग लिया आइए आज इन सब का विश्लेषण करते हैं 1 इलमुद्दीन ...